मेराज और इस्रा

From Ummat e Muslima
बैतुल मक़्दिस (बैतूल मुकद्दस) की पूरी तस्वीर
बैतुल मक़्दिस (बैतूल मुकद्दस) की पूरी तस्वीर
अल अक्स मस्जिद बैतूल मुकद्दस
अल अक्स मस्जिद बैतूल मुकद्दस

इसरा और मेराज (अरबी: الإسراء والمعراج‎‎, al-’Isrā’ wal-Mi‘rāj) की रात के सफ़र के दो हिस्सों को देखा जाता है। इस रात हमारे नबी मुहम्मद (सल्ललाहो अलैहि वसल्लम) के दो सफ़र रहे, (1) मक्का से बैत अल-मुखद्दस, (2) वहां से सात आसमानों की सैर करते के बाद अल्लाह से मिले। इस्लामी मान्यताओं के अनुसार प्रेषित मुहम्मद 621 ई में रजब महीने की 27 वीं रात को ये आसमानी सफ़र किये। कई रिवायतों के अनुसार इनका सफ़र भौतिक (बदन के साथ) था, कई रिवायतों के अनुसार आत्म (बदन के बिना) सम्बन्ध था। रिवायतों के मुताबिक यह भी मानना है कि इनका सफ़र एक सवारी पर हुआ। लेकिन लोग इस बुर्राक़ को एक जानवर का रूप समझने लगे। इस अवसर को ले कर मुस्लिम समुदाय इस इसरा और मेराज [1]को "शब् ए मेराज[2]" के नाम से त्यौहार मनाता है। जब कि इस त्यौहार मनाने का कोई जवाज़ नहीं है। लेकिन मुहम्मद के इस आसमानी सफ़र को लेकर महत्वता देते हुवे इस रात को हर साल त्यौहार के रूप में मनाते हैं। शब-ए-मेराज अथवा शबे मेराज एक इस्लामी त्योहार है जो इस्लामी कैलेंडर के अनुसार रजब के माह (सातवाँ महीना) में 27वीं तिथि को मनाया जाता है। इसे आरोहण की रात्रि के रूप में मनाया जाता है और मान्यताओं के अनुसार इसी रात, मुहम्मद एक दैवीय जानवर बुर्राक़ पर बैठ कर सातों स्वर्गों का भ्रमण किये थे। अल्लाह से मुहम्मद के मुलाक़ात की इस रात को विशेष प्रार्थनाओं और उपवास द्वारा मनाया जाता है और मस्जिदों में सजावट की जाती है तथा दीप जलाये जाते हैं।