रोज़ा

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नबी हज़रत मोहम्मद के बीच-बीच में रोज़ा (Roza) रखने के बावजूद शुरुआती दौर में उनके साथियों के लिए 30 रोज़े रखने का मामला फर्ज नहीं था हज़रत मोहम्मद के हिजरत करने यानी मक्का से मदीना जाने (622 ईस्वी) के दूसरे साल यानी साल 624 ईस्वी में इस्लाम में रमज़ान के महीने में रोज़ा रखने को फ़र्ज़ क़रार दिया गया था । उसके बाद से ही पूरी दुनिया में बिना किसी बदलाव के रोज़ा रखा जाता रहा है.